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19 अप्रैल 2024

तू ही हमारा मालिक है न ये लोग (ये लोग हमारी नहीं) बल्कि जिन्नात (खबाएस भूत-परेत) की परसतिश करते थे कि उनमें के अक्सर लोग उन्हीं पर ईमान रखते थे

 तू ही हमारा मालिक है न ये लोग (ये लोग हमारी नहीं) बल्कि जिन्नात (खबाएस भूत-परेत) की परसतिश करते थे कि उनमें के अक्सर लोग उन्हीं पर ईमान रखते थे (41)
तब (खु़दा फरमाएगा) आज तो तुममें से कोई न दूसरे के फायदे ही पहुँचाने का इख़्तेयार रखता है और न ज़रर का और हम सरकशों से कहेंगे कि (आज) उस अज़ाब के मज़े चखो जिसे तुम (दुनिया में) झुठलाया करते थे (42)
और जब उनके सामने हमारी वाज़ेए व रौशन आयतें पढ़ी जाती थीं तो बाहम कहते थे कि ये (रसूल) भी तो बस (हमारा ही जैसा) आदमी है ये चाहता है कि जिन चीज़ों को तुम्हारे बाप-दादा पूजते थे (उनकी परसतिश) से तुम को रोक दें और कहने लगे कि ये (क़ुरान) तो बस निरा झूठ है और अपने जी का गढ़ा हुआ है और जो लोग काफि़र हो बैठो जब उनके पास हक़ बात आयी तो उसके बारे में कहने लगे कि ये तो बस खुला हुआ जादू है (43)
और (ऐ रसूल) हमने तो उन लोगों को न (आसमानी) किताबें अता की तुम्हें जिन्हें ये लोग पढ़ते और न तुमसे पहले इन लोगों के पास कोई डरानेवाला (पैग़म्बर) भेजा (उस पर भी उन्होंने क़द्र न की) (44)
और जो लोग उनसे पहले गुज़र गए उन्होंने भी (पैग़म्बरों को) झुठलाया था हालांकि हमने जितना उन लोगों को दिया था ये लोग (अभी) उसके दसवें हिस्सा को (भी) नहीं पहुँचे उस पर उन लोगों न मेरे (पैग़म्बरों को) झुठलाया था तो तुमने देखा कि मेरा (अज़ाब उन पर) कैसा सख़्त हुआ (45)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तुमसे नसीहत की बस एक बात कहता हूँ (वह) ये (है) कि तुम लोग बाज़ खु़दा के वास्ते एक-एक और दो-दो उठ खड़े हो और अच्छी तरह ग़ौर करो तो (देख लोगे कि) तुम्हारे रफीक़ (मोहम्मद स0) को किसी तरह का जुनून नहीं वह तो बस तुम्हें एक सख़्त अज़ाब (क़यामत) के सामने (आने) से डराने वाला है (46)
(ऐ रसूल) तुम (ये भी) कह दो कि (तबलीख़े रिसालत की) मैंने तुमसे कुछ उजरत माँगी हो तो वह तुम्हीं को (मुबारक) हो मेरी उजरत तो बस खु़दा पर है और वही (तुम्हारे आमाल अफआल) हर चीज़ से खू़ब वाकि़फ है (47)
(ऐ रसूल) तुम उनसे कह दो कि मेरा बड़ा गै़बवाँ परवरदिगार (मेरे दिल में) दीन हक़ को बराबर ऊपर से उतारता है (48)
(अब उनसे) कह दो दीने हक़ आ गया और इतना तो भी (समझो की) बातिल (माबूद) शुरू-शुरू कुछ पैदा करता है न (मरने के बाद) दोबारा जि़न्दा कर सकता है (49)
(ऐ रसूल) तुम ये भी कह दो कि अगर मैं गुमराह हो गया हूँ तो अपनी ही जान पर मेरी गुमराही (का वबाल) है और अगर मैं राहे रास्त पर हूँ तो इस “वही” के तुफ़ैल से जो मेरा परवरदिगार मेरी तरफ़ भेजता है बेशक वह सुनने वाला (और बहुत) क़रीब है (50)

18 अप्रैल 2024

और शैतान का उन लोगों पर कुछ क़ाबू तो था नहीं मगर ये (मतलब था) कि हम उन लोगों को जो आख़ेरत का यक़ीन रखते हैं उन लोगों से अलग देख लें जो उसके बारे में शक में (पड़े) हैं और तुम्हारा परवरदिगार तो हर चीज़ का निगरा है

 और शैतान का उन लोगों पर कुछ क़ाबू तो था नहीं मगर ये (मतलब था) कि हम उन लोगों को जो आख़ेरत का यक़ीन रखते हैं उन लोगों से अलग देख लें जो उसके बारे में शक में (पड़े) हैं और तुम्हारा परवरदिगार तो हर चीज़ का निगरा है (21)
(ऐ रसूल इनसे) कह दो कि जिन लोगों को तुम खु़द ख़ुदा के सिवा (माबूद) समझते हो पुकारो (तो मालूम हो जाएगा कि) वह लोग ज़र्रा बराबर न आसमानों में कुछ इख़तेयार रखते हैं और न ज़मीन में और न उनकी उन दोनों में शिरकत है और न उनमें से कोई खु़दा का (किसी चीज़ में) मद्दगार है (22)
जिसके लिए वह खु़द इजाज़त अता फ़रमाए उसके सिवा कोई सिफारिश उसकी बारगाह में काम न आएगी (उसके दरबार की हैबत) यहाँ तक (है) कि जब (शिफ़ाअत का) हुक्म होता है तो शिफ़ाअत करने वाले बेहोश हो जाते हैं फिर तब उनके दिलों की घबराहट दूर कर दी जाती है तो पूछते हैं कि तुम्हारे परवरदिगार ने क्या हुक्म दिया (23)
तो मुक़र्रिब फरिश्ते कहते हैं कि जो वाजिबी था (ऐ रसूल) तुम (इनसे) पूछो तो कि भला तुमको सारे आसमान और ज़मीन से कौन रोज़ी देता है (वह क्या कहेंगे) तुम खु़द कह दो कि खु़दा और मैं या तुम (दोनों में से एक तो) ज़रूर राहे रास्त पर है (और दूसरा गुमराह) या वह सरीही गुमराही में पड़ा है (और दूसरा राहे रास्त पर) (24)
(ऐ रसूल) तुम (उनसे) कह दो न हमारे गुनाहों की तुमसे पूछ गछ होगी और न तुम्हारी कारस्तानियों की हम से बाज़ पुर्स (25)
(ऐ रसूल) तुम (उनसे) कह दो कि हमारा परवरदिगार (क़यामत में) हम सबको इकट्ठा करेगा फिर हमारे दरमियान (ठीक) फैसला कर देगा और वह तो ठीक-ठीक फैसला करने वाला वाकि़फकार है (26)
(ऐ रसूल तुम कह दो कि जिनको तुम ने खु़दा का शरीक बनाकर) खु़दा के साथ मिलाया है ज़रा उन्हें मुझे भी तो दिखा दो हरगिज़ (कोई शरीक नहीं) बल्कि खु़दा ग़ालिब हिकमत वाला है (27)
(ऐ रसूल) हमने तुमको तमाम (दुनिया के) लोगों के लिए (नेकों को बेहश्त की) खु़शखबरी देने वाला और (बन्दों को अज़ाब से) डराने वाला (पैग़म्बर) बनाकर भेजा मगर बहुतेरे लोग (इतना भी) नहीं जानते (28)
और (उलटे) कहते हैं कि अगर तुम (अपने दावे में) सच्चे हो तो (आखि़र) ये क़यामत का वायदा कब पूरा होगा (29)
(ऐ रसूल) तुम उनसे कह दो कि तुम लोगों के वास्ते एक ख़ास दिन की मीयाद मुक़र्रर है कि न तुम उससे एक घड़ी पीछे रह सकते हो और न आगे ही बड़ सकते हो (30)

17 अप्रैल 2024

बात अकेले बाबा रामदेव की नहीं , , बात कहावत ,, जैसी करनी , वैसी भरनी ,, के चरितार्थ होने की है , यक़ीनन , जो जैसा करता है वैसा भरता है , क्योंकि एक अदालत उपरवाले की होती है , वहां की लाठी में आवाज़ नहीं होती , कमोबेश ,सुप्रिम कोर्ट में बाबा रामदेव की ठगी , झूंठ , जुमलेबाज़ी ,, के मामले में चल रही सुनवाई में जो उन्हें लताड़ मिल रही है , यह उनकी करतूतों का नसीब है

 बात अकेले बाबा रामदेव की नहीं , , बात कहावत ,, जैसी करनी , वैसी भरनी ,, के चरितार्थ होने की है , यक़ीनन , जो जैसा करता है वैसा भरता है , क्योंकि एक अदालत उपरवाले की होती है , वहां की लाठी में आवाज़ नहीं होती , कमोबेश ,सुप्रिम कोर्ट  में बाबा रामदेव की ठगी , झूंठ ,  जुमलेबाज़ी ,, के मामले में चल रही सुनवाई में जो उन्हें लताड़ मिल रही है , यह उनकी करतूतों का नसीब है ,
दोस्तों सभी जानते हैं , 2014 चुनाव के पहले , बाबा रामदेव ,,अन्ना हज़ारे जैसे कई  बाबा , समाजसेवक , भाजपा के चुनाव प्रचार में थे , अन्ना हज़ारे की तो पूरी टीम भाजपा के टिकिट पर चुनाव लड़ी थी , मंत्री भी बनी , कोई गवर्नर बना , कोई क्या बना , बाबा रामदेव ने , भाजपा के पक्ष में खुलकर प्रचार किया  युवाओं और देश के आम लोगों को गुमराह किया , पेट्रोल तीस रूपये लीटर हो जाएगा , डीज़ल सस्ता हो जाएगा , सभी के खाते में  पंद्रह लाख रूपये आएंगे ,, विदेश से काला धन आएगा , ब्रष्टाचारियों पर अंकुश लगेगा , वगेरा वगेरा ,, इस कुप्रचार के झांसे ,को  जुमले को , देश के लोगों ने , सही समझा और , देश के वोटर्स ने ,, देश की दिशा बदलने , महंगाई को नियंत्रित करने , गरीबों को स्वरोजगार , रोज़गार , रोटी , कपड़ा मकान के लिए ,, भाजपा को खुलकर वोट दिया, , नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने ,भाजपा की सरकार बनी , लेकिन पेट्रोल के भाव अंतर्राष्ट्रीय मूल्य में कमी के बावजूद भी सातवें आसमान पर पहुँच गए , ना रोज़गार मिले , ना ही महंगाई कम हुई , किसानों को उनका हक़ नहीं मिला ,बेरोज़गारों को रोज़गार , बेघरों को ,घर नहीं मिले , और विदेश का कालाधन भी नहीं आया ,, ना ही , लोगों के खाते में पंद्रह लाख रूपये आये , ,मीडिया अचानक बदल गया , नरेंद्र मोदी जी के क़ब्ज़े में आ गया , तो फिर किसकी हिम्मत थी , किसकी हिमाक़त थी , के मीडिया का कोई भी व्यक्ति , सरकार बनते ही जेड सुरक्षा और केबिनेट  मंत्री का दर्जा प्राप्त करने वाले बाबा रामदेव से कोई सवाल पूंछता ,बाबा रामदेव ने मैगी बंद करवाई , खुद की मैगी बेचीं , कई ब्रांड बनाकर व्यापारी , उद्योगपति बन गए , लेकिन मीडिया का कोई भी पत्रकार उनसे उनके झूंठे जुमलों पर , सरकार के खिलाफ चुप रहने के बारे में सवाल ही नहीं कर सका , अन्ना हज़ारे की चुप्प्पी तो बस जब केजरीवाल पर सवाल आता है ,तभी भाजपा के समर्थन में उनकी चुप्पी टूटती है ,देश के हालातों पर तो वोह भाजपा के पक्ष में हमेशा चुप ,, खामोश रहते है , ,निष्पक्ष मीडिया है ही नहीं जो वोह इस तरह के सवाल उनसे करता , खेर कोई बात नहीं , ,एक अदालत ऊपर वाले की है , उसका क़ानून जैसी करनी वैसी भरनी की तरह है , कोरोना में कोरोना गाइड लाइन के खिलाफ , बाबा रामदेव ने ,, एलोपेथी के खिलाफ झूंठ फैलाया , जनता को भड़काया , केंद्र सरकार ,, सी बी आई , ई डी वगेरा वगेरा और मीडिया खामोश रहे  ,लेकिन देश के डॉक्टरों का संगठन आई एम ऐ चुप नहीं बैठा , कार्यवाही हुई , सुप्रीम कोर्ट में संज्ञान हुआ,  निष्पक्ष जजों के समक्ष सुनवाई शुरू हुई , दूध का दूध पानी का पानी हुआ, लाइव कोर्ट रूम रिपोर्टिंग करना , पत्रकारों की मजबूरी हो गई , क्योंकि फिर आम जनता में उनका भरोसा ज़ीरो होने की संभावना थी , बाबा रामदेव उनके कर्मचारी , खूब कसमसाये , कोर्ट को गुमराह करने के सभी प्रयास विफल हुए , तो फिर माफ़ी माँगना पढ़ी , लेकिन माफ़ी भी दिखावटी थी सो कोर्ट को निष्पक्ष आदेश में , माफ़ी को अस्वीकार कर , उत्तराखण्ड और केंद्र सरकार द्वारा उनके खिलाफ कोई भी कार्यवाही किन कारणों से नहीं की गई , उसका भी जवाब तलब किया गया ,फिर ट्विस्ट आया ,, रिटायर्ड जजों के एक खेमें ने , बाबा रामदेव मामले की सुनवाई कर रहे , जज को प्रश्नगत करते हुए , पत्र लिखा ,, पत्र खूब वाइरल करवाया गया ,,,, अख़बारों में सोशल मीडिया में वाइरल हुआ, अजीब बात थी , एक निष्पक्ष फैसले और सुनवाई को प्रश्नगत किया गया वोह भी , जज रहे पूर्व जजों द्वारा , ,खेर नतीजा जो भी हो , ,फिर बाबा रामदेव मामले की सुनवाई हुई ,, फिर माफ़ी मांगी गई , इस बार उनकी आयुर्वेद की तारीफ की गई , और  सार्वजनिक माफ़ी मांगने  के निर्देश हुए , खेर नतीजा जो भी हो , वक़्त बताएगा , लेकिन बाबा रामदेव जो खुद को ,क़ानून से ऊपर समझने लगे थे , देश के हर शीर्ष वर्ग को , अपना नज़दीकी मानकर उनके खिलाफ कोई कुछ नहीं करेगा , वोह जो भी करेंगे , उसे समर्थन मिलेगा,  ऐसा सोचने वाले , जिन्होंने , भाजपा के चुनाव प्रचार में लोगों को गुमराह कर सस्ता पेट्रोल  सस्ता डीज़ल , पंद्रह लाख रूपये , हर खाते में , काला धन की वापसी , के जुमले बनाकर , आम जनता से भाजपा की सरकार बनवाई , एक सो चालीस करोड़ लोग , बाबा रामदेव से , कोई हिसाब नहीं ले पाए , बाबा रामदेव जसोदा बेन , पत्नी श्री नरेंद्र मोदी जी को , चुनाव के वक़्त पतंजलि ले गए , वहां महमान नवाज़ी की , खेर फिर उन्हें केबिनेट मंत्री दर्जा मिला , जेड सुरक्षा मिली , मीडिया उनके खिलाफ चुप रहा ,, लेकिन क़ुदरत का खेल है , के अब सुप्रीमकोर्ट ने पुरे देश के सामने बाबा रामदेव को उनके गलती मानने , और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की सुनवाई की , सार्वजनिक प्रकाशन , प्रसारण हुआ, और अब बाबा रामदेव को चाहें 2014 के जुमले ,, झूंठ , फरेब के लिए कुछ सज़ा ना मिली हो ,लेकिन अब ,,,उन्हें देश से , उनके कृत्य के लिए , माफ़ी मांगना पढ़ रही है ,और सुप्रीमकोर्ट ने बाबा रामदेव उनके कर्मचारी को सार्वजनिक माफ़ी मांगने के निर्देश दिए है ,,,, इसलिए कोई भी क़ुदरत के क़ानून ,, देश के क़ानून से बढ़ा नहीं है,,,,,यह देश के हर ज़ालिम , हर क़ानून तोड़ने वाले को समझ लेना चाहिए ,,, अख्तर  खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

कल रात 4 घंटे में संपन्न हुए दो देवलोकगामियों के नेत्रदान

 कल रात 4 घंटे में संपन्न हुए दो देवलोकगामियों के नेत्रदान

शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से मंगलवार रात दो देवलोकगामियों के नेत्रदान का पुनीत कार्य संपन्न हुआ ।


कल संस्था के पूनम कॉलोनी निवासी,ज्योति मित्र विक्रमजीत सिंह (रेल्वे वर्कशॉप कर्मचारी ) ने अपनी माँ सरदारनी जोगिंदर कौर के निधन की सूचना डॉ कुलवंत गौड़ को दी । जोगिंदर ने जीवित रहते ही,मरणोपरांत अपने नैत्रदान करवाने की इच्छा, बेटे विक्रम, बेटी कमलप्रीत व हरप्रीत को बता चुकी थी,यही कारण रहा कि,जैसे ही चिकित्सकों ने माता जी के निधन की पुष्टि की,परिवार के सदस्यों ने तुरंत ही संस्था को संपर्क कर नेत्रदान संपन्न करवाया ।


घर आकर सोये ही थे कि,देर रात 1:00 बजे संस्था के ज्योति मित्र राजेंद्र वया और हुकुमचंद चंडालिया ने सूचना दी की, महावीर नगर तृतीय निवासी,अनिल कुमार चतर (सेवानिवृत्त विधुत विभाग) की पत्नी चंद्रा चतर का आकस्मिक निधन हुआ है,और बेटे नितेश,बेटी विनीता सहित परिवार के अन्य सदस्य चंद्रा के नेत्रदान के लिए सहमत हैं । सूचना मिलते ही देर रात 1:30 बज़े शाइन इंडिया के सहयोग से नैत्रदान सम्पन्न हुआ ।

ग़रज़ सुलेमान को जो बनवाना मंज़ूर होता ये जिन्नात उनके लिए बनाते थे (जैसे) मस्जिदें, महल, कि़ले और (फरिश्ते अम्बिया की) तस्वीरें और हौज़ों के बराबर प्याले और (एक जगह) गड़ी हुयी (बड़ी बड़ी) देग़ें (कि एक हज़ार आदमी का खाना पक सके) ऐ दाऊद की औलाद शुक्र करते रहो और मेरे बन्दों में से शुक्र करने वाले (बन्दे) थोड़े से हैं

 कि फँराख़ व कुशादा जिरह बनाओ और (कडि़यों के) जोड़ने में अन्दाज़े का ख़्याल रखो और तुम सब के सब अच्छे (अच्छे) काम करो वो कुछ तुम लोग करते हो मैं यक़ीनन देख रहा हूँ (11)
और हवा को सुलेमान का (ताबेइदार बना दिया था) कि उसकी सुबह की रफ़्तार एक महीने (मुसाफ़त) की थी और इसी तरह उसकी शाम की रफ़्तार एक महीने (के मुसाफत) की थी और हमने उनके लिए तांबे (को पिघलाकर) उसका चश्मा जारी कर दिया था और जिन्नात (को उनका ताबेदार कर दिया था कि उन) में कुछ लोग उनके परवरदिगार के हुक्म से उनके सामने काम काज करते थे और उनमें से जिसने हमारे हुक्म से इनहराफ़ किया है उसे हम (क़यामत में) जहन्नुम के अज़ाब का मज़ा चख़ाँएगे (12)
ग़रज़ सुलेमान को जो बनवाना मंज़ूर होता ये जिन्नात उनके लिए बनाते थे (जैसे) मस्जिदें, महल, कि़ले और (फरिश्ते अम्बिया की) तस्वीरें और हौज़ों के बराबर प्याले और (एक जगह) गड़ी हुयी (बड़ी बड़ी) देग़ें (कि एक हज़ार आदमी का खाना पक सके) ऐ दाऊद की औलाद शुक्र करते रहो और मेरे बन्दों में से शुक्र करने वाले (बन्दे) थोड़े से हैं (13)
फिर जब हमने सुलेमान पर मौत का हुक्म जारी किया तो (मर गए) मगर लकड़ी के सहारे खड़े थे और जिन्नात को किसी ने उनके मरने का पता न बताया मगर ज़मीन की दीमक ने कि वह सुलेमान के असा को खा रही थी फिर (जब खोखला होकर टूट गया और) सुलेमान (की लाश) गिरी तो जिन्नात ने जाना कि अगर वह लोग ग़ैब वा (ग़ैब के जानने वाले) होते तो (इस) ज़लील करने वाली (काम करने की) मुसीबत में न मुब्तिला रहते (14)
और (क़ौम) सबा के लिए तो यक़ीनन ख़ुद उन्हीं के घरों में (कु़दरते खु़दा की) एक बड़ी निशानी थी कि उनके शहर के दोनों तरफ दाहिने बाऐ (हरे-भरे) बाग़ात थे (और उनको हुक्म था) कि अपने परवरदिगार की दी हुयी रोज़ी खाओ (पियो) और उसका शुक्र अदा करो (दुनिया में) ऐसा पाकीज़ा शहर और (आख़ेरत में) परवरदिगार सा बख़्शने वाला (15)
इस पर भी उन लोगों ने मुँह फेर लिया (और पैग़म्बरों का कहा न माना) तो हमने (एक ही बन्द तोड़कर) उन पर बड़े ज़ोरों का सैलाब भेज दिया और (उनको तबाह करके) उनके दोनों बाग़ों के बदले ऐसे दो बाग़ दिए जिनके फल बदमज़ा थे और उनमें झाऊ था और कुछ थोड़ी सी बेरियाँ थी (16)
ये हमने उनकी नाशुक्री की सज़ा दी और हम तो बड़े नाशुक्रों ही की सज़ा किया करते हैं (17)
और हम अहले सबा और (शाम) की उन बस्तियों के दरम्यिान जिनमें हमने बरकत अता की थी और चन्द बस्तियाँ (सरे राह) आबाद की थी जो बाहम नुमाया थीं और हमने उनमें आमद व रफ्त की राह मुक़र्रर की थी कि उनमें रातों को दिनों को (जब जी चाहे) बेखटके चलो फिरो (18)
तो वह लोग ख़ुद कहने लगे परवरदिगार (क़रीब के सफर में लुत्फ नहीं) तो हमारे सफ़रों में दूरी पैदा कर दे और उन लोगों ने खु़द अपने ऊपर ज़ुल्म किया तो हमने भी उनको (तबाह करके उनके) अफसाने बना दिए - और उनकी धज्जियाँ उड़ा के उनको तितिर बितिर कर दिया बेशक उनमें हर सब्र व शुक्र करने वालों के वास्ते बड़ी इबरते हैं (19)
और शैतान ने अपने ख्याल को (जो उनके बारे में किया था) सच कर दिखाया तो उन लोगों ने उसकी पैरवी की मगर इमानवालों का एक गिरोह (न भटका) (20)

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