बारूद का शहर झालावाड़ ,,धमाकों का शहर झालावाड़ ,,नारंगियों का शहर झालावाड़
,,मिट्ठेशाह महाबली ,,पोपा जी का झालावाड़ ,,गागरोन के तोतों का झालावाड़
,,राजस्थान की मिनी राजधानी ,,महारानी वसुंधरा सिंधिया का ग्रहचुनाव
क्षेत्र झालावाड़ ,,बारूद के ढेर पर है ,,,प्रशासन की सावधानी हटी
,,दुर्घटना घटी का माहौल है ,लापरवाही की एक चिंगारी से झालावाड़ के बारूद
के ढेर में आग लगने का खतरा है ,,, ,प्रभारी मंत्री और सियासत की चतुराई तो
हुई ,,लेकिन वक़्त रहते हालात नहीं संभाले ,,तो हालात दुष्कर हो सकते है
,अल्लाह की राह में समर्पित वक़्फ़ सम्पत्ति ,,जहां शहर ऐ खमूशा बसा है
,,,जहाँ बुज़ुर्ग आराम फरमा है ,,उस जगह को तोड़फोड़ कर तहस नहस करना ,,ज़िंदा
लोगो की खरीद फरोख्त कर ,,उन्हें आपस में लड़ा भिड़ा कर ,,चाहे अपना काम
निकाल लिया जाए ,,लेकिन शहर ऐ खमूशा में आराम फरमा बुज़ुर्गो की बेहुरमती के
बाद उनके गुस्से ,,उनके प्रकोप से कोई भी आज तक बच नहीं सका ,,है उन्हें
अपने तख्त ओ गवाना पढ़े है ,,तो सामजिक ज़िल्लत भी उन्हें झेलना पढ़ी है
,,में बात कर रहा हूँ ,,झालावाड़ के ज्वलंत मुद्दे ,,मज़ारो और क़ब्रों को
रातो रात चोरो की तरह कुछ समाज के ही अपने लोगो द्वारा ,,समाज को भरोसे में
लिए बगैर हटाने के बाद उपजे हालातो की ,,9 जून 2016 छत्तीस ज़िम्मेदार
मुसलमानो का प्रशासन से एक समझौता ,,समझौते के बाद एस डी एम का एक आदेश
,,कुछ लोगो की नानुकुर ,,एक साहिब इस मामले को रोकने के लिए वक़्फ़
ट्रिब्यूनल की जगह हाईकोर्ट जा पहुंचे ,,जहां से कार्यवाही खत्म कर वक़्फ़
ट्रिब्यूनल में मामला ले जाने को कहा गया ,,,वक़्फ़ कमेटी झालावाड़ इस मामले
में शामिल नहीं ,,सम्पत्ति वक़्फ़ की और निजी लोग बिना किसी निर्वाचन ,,बिना
किसी आम मुसलमान के मेंडेट के ,,क़ब्रों को मिस्मार करने के ठेकेदार बन बैठे
,,खेर जो होना था सो हो गया ,,लेकिन छत्तीस लोगो के इस समझौते को पूरी तरह
से प्रभारी मंत्री यूनुस खान की देखरेख में होने के बाद भी लागू नहीं
किया गया ,,,सिर्फ गिनती के कुछ लोगो ने रातों रात ,,लोगो की आस्था का
केंद्र बने मज़ार को सड़क के नाम पर लापता कर ,दिया ,दूसरे मज़ारात को चबूतरा
बताकर छू मंतर कर दिया गया ,,ज़ाहिर है झालावाड़ के आम मुसलमानो में ज़लज़ला
आना था ,,लेकिन खतरनाक बात यह है के मुख्यमंत्री के इस ग्रह ज़िले में उनकी
और समर्थित मंत्रियों की एक गलती का इन्तिज़ार कर रहे कुछ नाराज़ लोग ऐसे
मामलो की तलाश में रहकर इन मुद्दों को भुनाते है ,,,कुछ लोग ऐसे भी हो सकते
है जो मुख्यमंत्री के इस ग्रह क्षेत्र में लाठी भाटा ,,आंसूगैस ,,गोलीबारी
की जंग करवाकर सियासी फायदा उठा सकते है ,,मुसलमान समाज आपस में लड़ रहा है
,,क़ाज़ी ऐ शहर झालावाड़ की गलती पकड़ कर उनसे नाराज़ कुछ लोग इस मुद्दे को
भुना कर खुद जबरिया क़ाज़ी बनने की कोशिशों में जुट गए है ,,कोई भी ऐसा नहीं
जो मामले का पुख्ता हल निकाले ,,लेकिन यह सच है ,मुख्यमंत्री साहिबा ,उनके
विश्वास पात्र प्रभारी मंत्री और कुछ खास लोगो का यह खेल अगर बिगड़ गया तो
राजस्थान में लेने के देने पढ़ सकते है ,,मुख्यमंत्री और उनके नज़दीकी धर्म
,,मज़हब ,, आस्था का वज़न जानते है ,,जब खुद के घर में एक मूर्ति को अदब से
,एक तरफ हिफाज़त से रखने पर इन्हे मंत्री पद से हटाने का दबाव बना और रातो
रात मज़हबी रिवायतों के खिलाफ सरकारी बंगले में मंदिर बनाकर पूजा शुरू
करवाना पढ़ी ,तो फिर एक मज़ार जहाँ आस्था से जुड़े लोग थे ,,उन्हें फिर वोह हक़
क्यों नहीं दिया ,जाए ,,,खुद प्रशासन ,,मुख्यमंत्री के प्यादो ने
हस्ताक्षरित समझौते की पालना नहीं की ,नए क़ब्रिस्तान की ज़मीन अभी सिर्फ सेट
ऐ पार्ट की गयी है ,,वक़्फ़ के रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज करवाकर उन्हें
सुपुर्दगी में नहीं दी गयी है ,,, सम्पत्तियौं का आधुनिक विकास नहीं हुआ
,है ,,और तो और जो समझौता ,,कुछ गिनती के लोगो ने पुरे झालावाड़ के
मुस्लिमों का ठेकेदार बनकर किया था उस लिखित समझौते के तहत पृष्ठ नंबर दो
,,के पैरे ग्राफ संख्या तीन के अंतिम अल्फ़ाज़ों की ज़रा भी पालना नहीं हुई
है जिसमे मज़ारात की सुरक्षा का लिखित मुहायदा है ,,किसने तोडा क्यों तोड़ा
,,यह जांच का विषय है ,,आपसी मज़ारात के प्रति आस्था और आस्था नहीं होने के
फ़िरक़ों का सवाल हो सकता है ,,लेकिन तत्काल हालात कैसे सुधरे ,,रंजिशे
,,आरोप प्रत्यारोप कैसे ,,रुके ,,झालावाड़ को जलने से कैसे रोका जाए
,,ज्वलंत मुद्दे यह है ,,और ऐसे में क़ाज़ी को हटाया जाए ,,नया क़ाज़ी बनाया
जाए ,,यह सब निजी दुश्मनी ,,रंजिश के हथकंडे हो सकते है , , लेकिन लिखित
मुहायदे के तहत अगर मज़ारात की आस्थाओं को फिर से बहाल नहीं किया गया ,,तो
हालात सुधरना मुश्किल है ,,विकास हो गया ,,सड़क फोरलेन निकल गयी ,मज़ारात एक
तरफ कोने में है ,अगर उनको उस कोने की तरफ ,,अतिरिक्त जगह देकर ,,सम्मानित
तरीके से स्थापित रहने दिया जाता है ,,उसका अस्तित्व बहाल ,,रखकर
,,आस्थावान लोगो से चादर पोशी ,,फातिहा ख्वानी का कार्यक्रम करने के लिए
स्थाई जगह देकर समाधान स्थाई रूप से निकाला जाता है तो ,लोगो के ज़ख्मो पर
थोड़ा मलहम लग सकता है ,,,प्रभारी मंत्री ,,मुख्यमंत्री ,,,,प्रशासन ,,उनके
चहेते ,,उनके इशारे पर कॉम के जज़्बात के खिलाफ कार्यवाही करने वाले लोगो
में अगर ज़रा भी समझ है ,,तो एक दूसरे को नीचा दिखाने ,,क़ाज़ी को हटाने ,नया
क़ाज़ी बनाने के मुद्दे खत्म करे ,,एक जुट हो और जो लिखित में मुहायदा है कम
से कम उसकी पालना में मज़ारात के अस्तित्व ,,पूर्व हालातो को तो सड़क बचाते
हुए बहाल करे ,एक तरफ ,किनारे पर बढ़ाकर अतिरिक्त जगह देकर प्रशासन इस मामले
को निपटा सकता है ,,लेकिन अगर देर कर दी ,अगर हठधर्मिता दिखाई और
मुख्यमंत्री के ग्रह ज़िले में एक लाठी भी चली ,,ज़रा भी विद्रोह हुआ ,,तो
फिर जो सियासी हालात बनेंगे उसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते ,,इसलिए मिल
बैठ कर फिर से मसला हल करे ,,जो गलतियां हुई है उन्हें सुधारे ,,अपनी
गलतियों के लिए तोबा करे ,,झालावाड़ के आम मुसलमानो से माफ़ी मांगे ,,उन्हें
भरोसे में ले ,,और जो सुझाव आया है उस पर विचार करे ,,इंशा अललाह ,,खुदा
रहम ,,करेगा इंसाफ करेगा ,,बिगड़े हालातो को फिर से भाईचारा ,,सद्भावना में
तब्दील करेगा ,, मज़ारात की आस्थाये बहाल होने पर झालावाड़ फिर से अपने मूल
अस्तित्व में लौटेगा ,,प्यार मोहब्बत का वहां फिर से माहौल गर्म होगा
,,देखते है मुख्यमंत्री साहिबा इस गंभीर मुद्दे पर अपना क्या रुख रखती है
,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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