आपका-अख्तर खान

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15 अगस्त 2017

तिरंगे का दर्द मिडिया के खिलाफ भी था ,

कहते है बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी ,,,,सच बोलोगे तो मिर्ची लग जाएगी लेकिन मुझे दिल की आवाज़ रुंधे हुए गले से कहना ही तो कहना है ,,आवाज़ चाहे दूर तक जाए या न जाए मिर्ची लगे तो लगे ,,,,आप समर्थन करो या फिर विरोध ,,आप कोंग्रेसी कहो या कुछ और ,लेकिन टूटे हुए दिल ,,रुंधे हुए गले से ,,बटवारे के दर्द से आहत इस तिरंगे का दर्द तो मुझे बयान करना ही होगा ,,,,देश भर में सियासी तोर पर लोगो को आकर्षित करने के लिए सिर्फ और सिर्फ सियासी तिरंगा यात्राएं थी ,,,कोटा में भी यह यात्राएं निकली शान से निकली ,,तिरंगा शान से निकला ,,लेकिन दुखी और आहत तिरंगा ,,हर यात्रा से यह पूंछ रहा था ,,मुझे सियासी पार्टियों में क्यों बाँट दिया है ,,में देश और देशवासियो का हूँ ,,मुझे सियासी पार्टियों में क्यों बांटा गया है ,,आहत तिरंगे का और भी रुला देने वाला सवाल था ,,कोई बात नहीं ,,सियासी पार्टियां अलग अलग है ,,तिरंगे के नाम पर अलग अलग कर लो ,,लेकिन एक ही सियासी पार्टी की ,,एक ही विचारधारा वाली पार्टी मुझे क्यों बाँट रही है ,तिरंगे का अफ़सोस था ,,एक तिरंगा बटवारे हज़ार ,,सियासी पार्टियों में फिर सियासी पार्टियों की ब्रांचेज में ,,,तिरंगे का दर्द था ,,जो लोग मुझे हर जगह लहराने की ज़िद करते है ,,में उनके अपने कार्यालयों में भी ,,उनके अपने कार्यक्रमों में भी इठलाना चाहता हूँ ,,उनके कार्यक्रमों में भी में राष्ट्रभक्ति का संदेश बनकर उनके अपने झंडे से ऊपर बहुत ऊपर ,,राष्ट्रवाद के ओरिजनल संदेश के साथ लहराना चाहता हूँ ,,तिरंगे का दर्द मिडिया के खिलाफ भी था ,,,आज कोटा के अख़बारों में चैनलों में ,,तिरंगे यात्रा के नाम की अलग अलग प्रभावशाली लोगो के गुट ,,लोगो के नाम से खबर थी ,,लेकिन तिरंगे को सजाने ,,संवारने ,,खबूसूरत उत्साहवर्धन कर देने वाली झांकियों का बच्चो के हौसलों का न तो ज़िक्र था न ही उनका विवरण ,,उनके फोटो विशेष तोर पर अखबारों की सुर्खियां बनाये गए थे ,,एक मुफ्ती ने तिरंगे पर महरबानी की तिरंगा फहराने की इजाज़त दी और राष्ट्रगान गाने से इंकार कर दिया ,जैसे राष्ट्रभक्ति ,,राष्ट्रवाद बांटने का लाइंसेंस इन मुफ़्ती जनाब को मिल गया हो ,,अफसोस होता है जब मज़हबी लोग ,,बिना किसी सोच ,,बिना किसी विचार के ऐसी बेवक़ूफ़िया करते ही जिनका इस्लाम से कोई लेना देना नहीं ही ,धर्म से कोई लेना देना नहीं है ,,शर्म आना चाहिए तिरंगे को सियासी पार्टियों ,,सियासी पार्टियों की गूटबाजियो ,,मज़हब ,,विचारधाराओं में बांटने वालों को ,,उपेक्षित करने वाले मीडिया कर्मियों को ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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