एक छोटे से परिवार में ,,एक छोटे से मोहल्ले में बुलंद इरादों के साथ
जन्मे भाई अब्दुल हनीफ ज़ैदी किसी परिचय के मोहताज नहीं है ,,भाई ज़ैदी
प्रारम्भिक शिक्षा के बाद कोटा राजकीय महाविद्यालय में ही कर्मकार बने
,,उन्होंने अपने जीवन में कई पीड़ित छात्र छात्राओं का मार्गदर्शन किया
,,अनेक समाज सेवा कार्यो से जुड़े भाई अब्दुल हनीफ ज़ैदी ,,अपने
कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहे ,,लेकिन थ्री इडियट फिल्म की तरह इनके
फोटोग्राफी के शोक ने ,,ज़ैदी को विश्व विख्यात फोटोग्राफर बना दिया
,,,दुर्लभ फोटो कलाकृतियां ,,दुर्लभ
फोटोग्राफी के लिए प्रसिद्ध हुए ज़ैदी एक ऐसे फोटोग्राफर कहे जाने लगे
,,जिनकी तस्वीर बोल उठने को तैयार रहती थी ,,ब्लेक ऐंड व्हाइट ,,छोटे छोटे
देसी केमरो की शुरुआत से ,,इनकी फोटोग्राफी जीवंत थे ,,उनमे ब्रश से रंग भर
उन्हें और खूबसूरत बनाने की इनकी कला ने इन्हे मक़बूल कर दिया ,,अब्दुल
हनीफ ज़ैदी अब ऐ एच ज़ैदी हो गए ,,,कोटा के अभ्यारण्य क्षेत्र ,,वन
क्षेत्र ,चंबल की कराइयों से लेकर ,,यहां की वन सम्पदा ,, पुरातत्व महत्व
की ऐतिहासिक मंज़र कशी ,,,वन्य जीव ,,पक्षी ,वनस्पति की फोटोग्राफी हाड़ोती
की धरती पर पारंगत तरीके से अगर किसी ,ने की तो वोह गुदड़ी के इस लाल भाई ऐ
एच ज़ैदी ने की ,,हमेशा मुस्कुराते रहना ,कैमरा गले में टांक कर ,,किसी भी
अचम्भित कर देने वाले फोटो की तलाश में घात लगाकर घूमना इनकी आदत रही है
,,कई फोटोग्राफर आज भी इन्हे उस्ताद मानकर इनकी पूजा करते है ,,कोटा ही
नहीं ,,,,देश विदेश के प्रसिद्ध लेखकों की महत्वपूर्ण पुस्तकों
,,स्मारिकाओं ,,एलबमों में भाई ऐ एच ज़ैदी के फोटो ज़रूर शामिल रहते है
,,लेखक तो सिर्फ अलफ़ाज़ लिखते है ,,लेकिन उनके अल्फ़ाज़ों को ज़िंदगी
,,अल्फ़ाज़ों को पहचान भाई ज़ैदी की फोटोग्राफी आर्ट से बनाई गयी तस्वीरों ने
दी है ,,,जूलॉजी यानी जीव विज्ञानं विभाग में महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त
होने के कारण ,,इन्होने वन्य जीव से लेकर पशु पक्षी ,,सहित पक्षियों के
बसेरे घोसले ,,वन्य जीव के गुफाओं से लेकर ,,चंबल के कटाव ,,हरियाली
,,खुशहाली ,,फूल ,,पत्तियों ,,उन पर बसेरा करने वाले कीटों ,,कीड़े मकोड़ो तक
की फोटोग्राफी की है ,,उनकी यह तस्वीरें आज भी विश्वप्रसिद्ध ज्ञानवर्धक
पुस्तकों में इनके नाम से प्रकाशित है ,,,एक छोटे से ब्लेक ऐंड व्हाइट
कैमरे से शुरआत कर ,,आज ज़ूम ,,फिर ,,शूटिंग ,,फिर आधुनिक कैमरे की इस
फोटोग्राफ़ी युग में भी भाई ज़ैदी उस्तादों के उस्ताद है ,,उस्तादी के बाद भी
सादगी की मुस्कुराहट ,,मददगारी का जज़्बा ,,छोटो को सिखाने के जूनून ने
ज़ैदी को दुसरो से अलग ,,ख़ास बना दिया है ,,,मोहब्बत ,,क़ौमी एकता का पैगाम
देकर कई बार इन्होने अपने दोस्तों दूसरे समाजो को चौंका दिया है ,,उम्र पर
तो इन्होने जैसे माशाअललाह किसी अदालत से स्थगन ले लिया है ,इसीलिए इनकी
उम्र बढ़ने का नाम ही नहीं लेती है ,,बच्चो में बच्चे ,,जवानो में जवान
,,,यारों में यार ,,भाई ज़ैदी की कई खूबियां है जो चंद अल्फ़ाज़ों में बयान
करना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन ,है ,,,लेकिन एक कमज़ोरी जो सभी की होती है
,भाभी के हुकम पर चलने की वोह तो है ही ना ,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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